विकासखंड के ग्राम पंचायत लाखामंडल में बुधवार दोपहर हुई खुली बैठक में एक योजना में बाहरी व्यक्ति का नाम दर्ज करने पर ग्रामीणों के दो पक्षों में विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की और हाथापाई होने लगी। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने बीच-बचाव कर दोनों पक्षों को शांत करवाया।
लाखामंडल के प्राचीन शिव मंदिर प्रांगण में ग्राम पंचायत की खुली बैठक आयोजित की गई थी। इसमें अधिकारी और ग्राम प्रधान गांव के विकास कार्यों पर चर्चा कर रहे थे। इसी दौरान एक योजना में बाहरी व्यक्ति का नाम लिखे जाने पर ग्रामीणों में तीखी बहस शुरू हो गई। विरोध करने पर दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए। क्षेत्र पंचायत सदस्य जयपाल आर्य, बिरेंद्र, खुशी राम गौड़, अंकित गौड़, प्रदीप शर्मा, रामचंद्र बहुगुणा, अनारी कविता, उजला देवी व ममता देवी ने आरोप लगाया कि पंचायत की बैठक की सूचना नियमानुसार पूर्व में ग्रामीणों को नहीं दी गई थी। साथ ही पुराने प्रधान से प्रभार भी नहीं लिया गया। उनका कहना था कि जब तक प्रभार हस्तांतरण पूरा नहीं होता, तब तक बैठक का आयोजन अनुचित है। कुछ ग्रामीणों का आरोप था कि बैठक में बाहरी लोगों के नाम योजनाओं में जोड़े जा रहे थे। जब इसका विरोध किया गया तो वे लोग भड़क गए और अभद्रता पर उतर आए। मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को शांत कराया। ग्राम पंचायत विकास अधिकारी शुभम सिंह ने बताया कि पूर्व प्रधान का बस्ता शासन में जमा है। बैठक के सभी कोरम पूरे किए गए थे। बैठक शांतिपूर्वक चल रही थी, लेकिन अचानक दो पक्षों में आपसी विवाद हो गया। ग्राम प्रधान बीना भट्ट ने कहा कि बैठक समाप्त होने के बाद गांव के दो पक्षों के बीच आपसी विवाद हो गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि पूर्व प्रधान का कार्यकाल समाप्त हो चुका था। वह केवल प्रशासक के रूप में कार्य कर रहा था।
