chardham yatra 2024 अद्भुत भारत की मान्यताएं और परम्पराएं बेहद दिलचस्प और रोचक हैं। चार धाम यात्रा से जुडी एक ऎसी ही रोचक रस्म है तेल निकालने के लिए किया जाने वाला राजसी आयोजन , भगवान बदरीनाथ के अभिषेक के उपयोग में लाया जाने वाला तिल का तेल नरेंद्रनगर राजदरबार में पिरोया जाता है। और यह तेल गाड़ू घड़ा में डाला जाता है। 12 मई को सुबह छह बजे बदरीनाथ धाम के कपाट विधि-विधान से तीर्थयात्रियों के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। भगवान बदरी विशाल का प्रथम अभिषेक तिलों के तेल से होगा। भगवान बदरीनाथ के अभिषेक के लिए नरेंद्रनगर राजदरबार में तिल का तेल पिरोया गया। नरेंद्रनगर राजमहल में महारानी माला राजलक्ष्मी शाह के नेतृत्व में नगर की सुहागिन महिलाओं के द्वारा ये विशेष तेल पिरोया गया।
सुहागिन महिलाओं द्वारा विशेष तेल पिरोया गया chardham yatra 2024
पीला वस्त्र धारण कर महिलाओं ने विधि विधान के साथ उपवास रख तिलों का तेल पिरोया। पहले महारानी राज्यलक्ष्मी शाह की मौजूदगी में राजपुरोहितों ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना संपन्न कराई। फिर सुहागिनों ने सादगीपूर्ण वातावरण में पीले वस्त्र धारण कर परंपरागत ढंग से तिलों का तेल पिरोया। साथ ही ढोल-दमाऊ व मसकबीन की मधुर लहरियों के बीच भगवान बदरी विशाल का स्तुतिगान हुआ और तेल को कलश में भरकर उसे कपड़े से ढका दिया गया। कपाट खुलने पर सबसे पहले नरेंद्रनगर राजमहल में पिरोये गए तिलों के तेल से ही भगवान बदरी विशाल का अभिषेक होता है। इसके बाद स्नान-पूजन की क्रियाएं संपन्न होती हैं। परंपरा के अनुसार टिहरी रियासत के राजाओं को बोलांदा बदरी (बोलने वाले बदरी) कहा जाता था। यही वजह है कि बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि एवं मुहूर्त राजा की कुंडली के हिसाब से तय होते हैं।
नरेंद्रनगर राजदरबार से गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा ऋषिकेश के लिए रवाना हो गया। विभिन्न पड़ावों से होते हुए 28 अप्रैल को यात्रा डिम्मर गांव पहुंचेगी। सात मई तक गाडूघड़ा तेल कलश लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित कर दिया जाएगा। 8 को यात्रा सिमली, कर्णप्रयाग होते हुए पाखी गांव पहुंचेगी। 9 को नृसिंह मंदिर जोशीमठ और 10 को यात्रा आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी), धर्माधिकारी व वेदपाठियों के साथ रात्रि प्रवास के लिए योगध्यान मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचेगी। 11 को महाभिषेक व बाल भोग के बाद यात्रा बदरीनाथ धाम पहुंचेगी और 12 मई को विधि-विधान के साथ कपाट खोल दिए जाएंगे।
उत्तराखंड में 10 मई से विधि-विधान के साथ चारधाम यात्रा शुरू हो रही है. 12 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट भी भक्तों के लिए खोले जाएंगे. इसके साथ ही टिहरी नरेश के नरेंद्र नगर राजमहल में भगवान बद्री विशाल के अभिषेक के लिए महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह और सुहागिन महिलाओं द्वारा तिलों का तेल पिरोने की रस्म विधि-विधान से पूरी हुई. इस अवसर पर महारानी सहित महिलाओं ने पीतांबर वस्त्र धारण किए थे.शुक्रवार को यह यात्रा पौराणिक शत्रुघ्न मंदिर मुनि की रेती में रात्रि विश्राम के लिए पहुंचेगी. फिर शनिवार को यात्रा श्रीनगर के लिए रवाना होगी. शुक्रवार सुबह से दोपहर तक गाडू घड़ा तेल कलश मंदिर समिति की रेलवे रोड ऋषिकेश स्थित चेलाचेतराम धर्मशाला में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रहेगा.