Rati Goddess of love रति प्रेम के देवता कामदेव की पत्नी हैं. रति कामदेव की महिला समकक्ष, पत्नी और सहायक हैं. वह कामदेव की एक निरंतर साथी हैं, इसलिए उन्हें अक्सर मंदिर में उनके साथ चित्रित किया जाता है. हिंदू धर्मग्रंथों में रति की सुंदरता पर जोर दिया गया है. वे उन्हें एक ऐसी युवती के रूप में चित्रित करते हैं जिसके पास प्रेम के देवता को मोहित करने की शक्ति है. हिंदू पौराणिक कथाओं में रति को लेकर कई कहानियां कही जाती हैं. जब भगवान शिव उनके पति को जलाकर राख कर देते हैं, तो यह रति की शक्ति का ही असर होता है जिनकी प्रार्थना या तपस्या से उन्हें पुनर्जीवित होने का वचन मिलता है.
ब्रह्माजी ने प्रेम के देवता कामदेव को रचा Rati Goddess of love
कलिका पुराण में रति की जन्म की कहानी मिलती है. 10 प्रजापतियों की रचना के बाद निर्माण के देवता ब्रह्माजी ने अपने मन से प्रेम के देवता कामदेव की रचना की. ब्रह्माजी ने कामदेव को फूल-बाण चलाकर दुनिया में प्यार फैलाने का आदेश दिया. प्रजापति दक्ष से कामदेव को एक पत्नी प्रदान करने का एक अनुरोध किया जाता है. कामदेव ने सबसे पहले अपने बाणों का प्रयोग सभी प्रजापतियों के खिलाफ किया. वे सभी ब्रह्माजी की पुत्री संध्या के प्रति आकर्षित थे.
ब्रह्माजी ने दिया श्राप
क्योंकि कामदेव की रचना ब्रह्माजी ने की थी इसलिए भगवान शिव उनके इस काम से क्रोधित हो जाते हैं और निंदा करते हैं. भगवान शिव के गुस्से के बाद ब्रह्मा और दक्ष कांपने लगते हैं और उन्हें पसीना आने लगता है. दक्ष के पसीने से रति उत्पन्न होती हैं, जिन्हें दक्ष कामदेव के समक्ष उनकी पत्नी के रूप में प्रस्तुत करते हैं. उसी समय, उत्तेजित ब्रह्मा ने कामदेव को भविष्य में शिव द्वारा भस्म होने का श्राप दिया. हालांकि, कामदेव की विनती पर, ब्रह्मा ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनका पुनर्जन्म होगा.
पुत्र की तरह पाला फिर किया विवाह
कामदेव को जब भगवान शिव ने भस्म कर दिया तो रति ने रोते हुए प्रार्थना की. वरदान के ही कारण श्रीकृष्ण के समय में कामदेव रुक्मणी पुत्र प्रद्युम्न के तौर पर पैदा हुए. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण से शत्रुता के कारण राक्षस शंभरासुर बचपन में प्रद्युम्न का अपहरण करके ले गया और समुद्र में फेंक दिया. उस शिशु को एक मछली ने निगल लिया. उस मछली को मछुआरों ने पकड़ लिया और वो शंभरासुर की रसोई में ही पहुंच गई. तब रति ने मायावती का रूप बनाया और उन्हें मछली के पेट से निकालकर अपने साथ ले आईं. रति ने फिर उनको पाला. बाद में कामदेव-प्रद्युम्न रति-मायावती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं.