Amazing World हिंबा जनजाति के लोगों की आदतें आज भी ठीक वैसी ही हैं, जैसी सदियों पहले हुआ करती थीं. दुनिया की तरक्की का इस जनजाति पर कोई असर नहीं हुआ है. हिंबा जनजाति में बच्चों के पैदा होने को लेकर भी काफी दिलचस्प परंपरा निभाई जाती है. इस जनजाति में जन्म की तारीख बच्चे के दुनिया में आने के बाद नहीं मानी जाती है. जनजाति की कोई भी महिला जब से बच्चे के बारे में सोचना शुरू करती है, तभी से बच्चे का जन्म मान लिया जाता है.
कीटाणुओं से मुक्त रखने के लिए धुएं का स्नान Amazing World
मां बनने के लिए जनजाति की महिलाओं को बच्चों से जुड़े गीत सुनने की राय दी जाती है. इसके बाद वे पेड़ के नीच बैठकर बच्चों से जुड़े गीत सुनती हैं. यही नहीं, उन्हें खुद भी बच्चों से जुड़ा एक गीत बनाना भी होता है. इसके बाद महिला गीत अपने साथी को गाकर सुनाती है. फिर दोनों संबंध बनाते हुए भी इस गीत को गाते हैं. जब महिला गर्भवती हो जाती है, तो जनजाति की दूसरी महिलाओं को यही गीत सिखाती है. फिर बच्चे के जन्म के समय भी महिला को बाकी महिलाएं यही गीत सुनाती हैं. बच्चे के जन्म से मृत्यु तक समय-समय पर उसे यही गीत सुनाया जाता है.
नहाने को लेकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग चलन हैं. कहीं लोग सुबह-सुबह नहाते हैं तो कहीं शाम को नहाना बेहतर माना जाता है. कुछ लोग गर्म पानी से नहाते हैं तो कुछ ठंडे और कुछ तो बर्फ से ही नहा लेते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एक जनजाति ऐसी भी है, जिसमें नहाने पर पूरी तरह से पाबंदी होती है. दूसरे शब्दों में कहें तो इस जनजाति के लोग पूरी जिंदगी नहीं नहाते हैं. इसके बाद भी समुदाय के लोग साफ-सुथरे रहते हैं. सवाल ये उठता है कि बिना नहाए साफ-सुथरा रहना कैसे संभव होता है?
दरअसल, जनजाति के लोग खुद को रोगाणुओं और कीटाणुओं से मुक्त रखने के लिए धुएं का स्नान करते हैं. महिलाएं खुद को साफ रखने के लिए खास तरीका अपनाती हैं. वे खास जड़ी-बूटियों को पानी में उबालती हैं और भाप से खुद को साफ रखती हैं. इससे उनके शरीर से बदबू नहीं आती है. यही नहीं, वे धूप से त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए खास लोशन भी लगाती हैं. ये लोशन जानवरों की चर्बी और खास खनिज हेमेटाइट से बनता है.