ARMY HOSPITAL भारतीय सेना में हर पांचवां जवान उत्तराखंड से है, तो उत्तराखंड के लिए ये बड़ी खबर है। उत्तराखंड की लगभग 40 आबादी इस नए नियम के दायरे में आती है। सेना के अस्पतालों में अब पुराने आश्रित कार्ड मान्य नहीं होंगे। अब आर्मी हॉस्पिटल्स में पुराने Dependent Cards (आश्रित कार्ड) मान्य नहीं होंगे इसके साथ ही यदि सैनिक के आश्रितों की मासिक आय नौ हजार रुपये से ज्यादा है तो उन्हें भी इलाज नहीं मिल सकेगा। सभी कमांड को रक्षा मंत्रालय की ओर से इस संबंध में पत्र लिखकर अवगत कराया गया है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से पत्र जारी ARMY HOSPITAL
भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि संख्या 74,75 के डिपेंडेंट कार्ड अब अस्पतालों में स्वीकार नहीं किए जाएंगे। इस संख्या के डिपेंडेंट कार्ड्स दिखाने वाले आश्रित को सेना अस्पताल में अब नहीं मिल सकेगा। अब तक इस संख्या के डिपेंडेंट कार्ड्स से सेना के जवानों, अधिकारियों, आश्रित माता-पिता और अन्य क्वालिफाइड रिश्तेदारों को आर्मी हॉस्पिटल इलाज मिलता था। पकड़े गए फर्जी आश्रित कार्डइस पत्र में एक बड़ी बात ये भी बताई गयी है कि जब सेना ने नए आश्रित कार्ड जारी किये तो बीच में कई पुराने कार्डों के फर्जी होने के बारे में भी सूचना सामने आई, शिकायत मिली कि इस नकली कार्डों का दुरपयोग अपात्र रिश्तेदार आर्मी हॉस्पिटल में कर रहे हैं।
न्यूनतम मासिक आय में भी परिवर्तनसेना आदेश संख्या 74, 75 बी का इस्तेमाल कर आर्मी हॉस्पिटल्स में जवानों और अधिकारियों के परिजनों को चिकिस्ता सेवा देने की व्यवस्था है। इसके अलावा जारी पत्र के द्वारा जवानों के माता-पिता के लिए न्यूनतम मासिक आय में भी परिवर्तन किया गया है, अब आश्रितों की 9000 रुपये महीना से अधिक आय नहीं होनी चाहिए। नए कार्ड जारी करने से पहले माता पिता की मासिक आय जो जांचा जाएगा, इसके लिए माता पिता को आय प्रमाणपत्र दिखाना होगा। आयकर विभाग की ओर से जारी वार्षिक आय प्रमाणपत्र भी मान्य होगा। इमरजेंसी के केस के अलावा किसी भी केस को आर्मी अस्पताल अब इस कार्डों का उपयोग करते हुए नहीं लेंगे।
रक्षा मंत्रालय के इस पत्र में साफ़ कहा गया है कि सत्यापन के लिए आधार की एक प्रति के साथ मेडिकल एंटाइटेलमेंट सर्टिफिकेट (MEC) ले जाना आवश्यक होगा। इसके बाद आगे आने वाले सालों में आधार से बायोमीट्रिक जांच करने की भी तैयारी है , न्यूनतम आय पर विरोधहालांकि, शमशेर सिंह बिष्ट, जो पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष हैं, उन्होइने विरोध जताते हुए कहा कि मात्र 9000 रुपये मासिक आय करना जवानों के साथ अन्याय है। दैनिक श्रमिक की न्यूनतम आय भी इससे अधिक है। बड़ी संख्या में आश्रित माता-पिता इस नए नियम के बाद इलाज से वंचित रह जाएंगे।