

आर्थिक संकट के बीच तेजी से दौड़ रही विकास की गाड़ी
हजारों करोड़ के कर्ज में दबे प्रदेश को आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए उठा रहे अहम कदम
शिमला: Chief Minister Sukhu: हजारों करोड़ के कर्ज में दबे प्रदेश की सरकार को चलाना बहुत ही चुनौती पूर्ण कार्य है। पहाड़ी प्रदेश में आय की सीमित साधनों के साथ विकास की गाड़ी को रफ्तार देना मुश्किल काम है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू सभी आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए बेहतर नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के बेहतर नेतृत्व क्षमता के कारण ही विकास की गाड़ी तेजी से बढ़ रही है। कांग्रेस पार्टी के द्वारा जनता को दी गई गारंटियों को भी मुख्यमंत्री पूरा कर रहे हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री नई सोच के चलते प्रदेश को आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने के संकल्प के पूरा करने के लिए आय के साधन जुटा रहे हैं। मुख्यमंत्री के प्रयासों से बेहतर परिणाम भी सामने आने लगे हैं, सरकार की आय में लगातार वृद्धि हो रही है। हजारों करोड़ के कर्ज में दबे हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का सपना असंभव को संभव करने जैसा है, जिस राह पर मुख्यमंत्री चल रहे हैं। मुख्यमंत्री जानते हैं कि यह राह बहुत कठिन है लेकिन कदम उठा दिया है तो मंजिल अवश्य मिलेगी, इसी उम्मीद के सहारे आगे बढ़ रहे हैं, निर्णय ले रहे हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं।
पूर्व सरकार से मिलीं 92 हजार करोड़ का कर्ज और देनदारियां
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू(Chief Minister Sukhu) के मुख्यमंत्री के कुर्सी आर्थिक रुप से कांटो सें भरा ताज जैसा था। पूर्व भाजपा सरकार से तात्कालीन कांग्रेस सरकार को करीब 92 हजार करोड़ से अधिक की देनदारियां मिलीं थीं, जिसमें 31 मार्च 2023 को प्रदेश पर 76,631 करोड़ का कर्ज प्रदेश सरकार के ऊपर था, जो 2025 के शुरुआत में 1 लाख करोड़ से अधिक पहुंच रहा है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्ता की कुर्सी पर बैठने के बाद प्रदेश में विकास के लिए सरकारी खजाने को देखा, तो वह कर्ज से लदा नजर आया। हजारों करोड़ के कर्ज में दबे प्रदेश की आर्थिक हालत को जनता के सामने रखना प्रदेश के मुखिया की जिम्मेदारी थी। जिससे मुख्यमंत्री ने उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र तैयार करने के लिए कमेटी का गठन किया। उप मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग से सारे आंकड़े जुटाए और श्वेत पत्र तैयार किया। प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने प्रस्तुत किया। जिसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया कि पूर्व भाजपा सरकार ने सबसे अधिक कर्ज लेकर प्रदेश को कर्ज में डुबा दिया है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र प्रस्तुत कर बताया कि उनकी सरकार को 92,774 करोड रूपए की देनदारियां विरासत में मिली हैं। 31 मार्च 2023 तक प्रदेश पर कर्जे का बोझ बढ़कर 76,631 करोड रूपए पहुंच गया है। हिमाचल का हर व्यक्ति 102818 रूपए के कर्ज के बोझ तले दबा है।
प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का लिया संकल्प, कठोर निर्णय लेकर आगे बढ़ रहे
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू(Chief Minister Sukhu) ने हजारों करोड़ के कर्ज में दबे हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का कठिन रास्ता चुना है। यह रास्ता आग पर चलने के समान है, लेकिन असंभव नहीं है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का राजनैतिक जीवन संघर्ष से सफलता हासिल करने का रहा है, जिससे अब मुख्यमंत्री ने आत्मनिर्भर हिमाचल बनाने के चुनौती पूर्ण रास्ते का चुना है और आगे कदम बढ़ाए जा रहे हैं। जिसके लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की आय बढ़ाने के लिए कुछ कठोर निर्णय ले रहे हैं। जिससे लगातार सरकार की आय में वृद्धि हो रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू व्यवस्था परिवर्तन की नई सोच के साथ कदम बढ़ा रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार की आय बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिससे प्रदेश में विकास की लंबी लकीर खींची जा सके। वोट बैंक की राजनीति में टैक्स लगाकर आय बढ़ाने का साहस कोई नहीं दिखा पाता, लेकिन अब सुक्खू ने प्रदेश सरकार की आय बढ़ाने का प्रयास शुरु किया है। जिसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने व्यवस्था परिवर्तन करते हुए शराब के ठेकों की नीलामी करने का निर्णय लिया। जिससे सरकार को 518. 82 करोड़ अधिक राजस्व प्राप्त होगा। पूर्व सरकार के समय कई साल से ठेकों की नीलामी नहीं हुई थी। सरकार शराब के ठेकों को पूर्व वर्ष के आधार पर थोड़ी वृद्धि करके पुराने ठेकेदारों का लायसेंस रिन्यू कर देती थी। लेकिन प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर शराब के ठेकों की नीलामी का निर्णय लिया गया। जिससे परिणाम यह हुआ कि प्रदेश सरकार के खजाने में 518.82 करोड़ रुपए का राजस्व अधिक आया।
जनकल्याण कारी योजनाओं से साथ-साथ विकास में रफ्तार तेज की
आर्थिक संकट का सामना करने के बावजूद मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू(Chief Minister Sukhu) ने विकास की गति को रुकने नहीं दिया बल्कि विकास को तेज किया। हिमाचल की जनता के लिए सरकार ने ढाई साल में दो दर्जन से अधिक नई जन कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की है, जिससे समाज के पिछड़े समुदाय को फायदा पहुंच रहा है। मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत हजारों अनाथ बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्रापत हो रहे हैं तो सुख शिक्षा योजना के तहत विधवा महिलाओं की बच्चों को उच्च शिक्षा की फ्री व्यवस्था प्रदान की जा रही है। इसी तरह बुजुर्गो, महिलाओं, किसानों और बागवानों के लिए भी योजनाएं चालू की गई हैं। सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य परिवहन के क्षेत्र में जनता को बेहतर सुविधाएं प्रदान कर रही है। बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए राजीव गांधी डे बोडिंग स्कूल बनाए जा रहे हैं। वहीं प्रदेश में खेल की बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए आउटडोर और इनडोर स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है। खेल को बढ़ावा देने के लिए खिलाड़ियों की ईनाम राशि और डाइट मनी को बढ़ाया गया है। प्रदेश को पर्यटन राज्य बनाने के लिए पर्यटन विकास पर बहुत काम किया जा रहा है। प्रदेश में पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग जैसे रोमांचक गेम को बढ़ाया जा रहा है। कांगड़ा को प्रदेश की पर्यटन राजधानी के रुप में विकसित किया जा रहा है। इस तरह मुख्यमंत्री सभी क्षेत्रों में विकास के नए आयाम स्थापित कर रहे हैं।
जनता को दी गई गारंटी पूरी कर रही सरकार
कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनावों के दौरान प्रदेश की जनता का गारंटी दी थी। जनता ने कांग्रेस की गारंटियों पर भरोसा किया और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने के बाद जनता का दी गई गारंटी को पूरा किया। सबसे पहले कर्मचारियों को ओपीएस की गारंटी को पूरा किया गया और प्रदेश में एनपीएस की जगह ओपीएस लागू की गई, जिसमें प्रदेश में 1 लाख 36 हजार कर्मचारियों को ओपीएस का फायदा मिला। इसके साथ महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने की गारंटी को पूरा किया गया और प्रदेश की करीब 50 हजार पात्र महिलाओं को 1500 रुपए महीने सम्मान राशि के रुप में दिए जा रहे हैं। इसी तरह युवाओं को स्वरोजगार प्रदान करने के लिए 680 करोड़ रुपए की स्टार्टअप योजना चालू की गई जिसमें युवाओं को रोजगार हासिल हो रहा है। ग्रामीण अर्थव्यवथा को मजबूत करने के लिए गाय और भैस के दूध की कीमत में भारी वृद्धि की गई और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए। इस तरह सरकार आर्थिक संकट के बावजूद जनता को दी गई गारंटी को पूरा कर रही है।
I don’t think the title of your article matches the content lol. Just kidding, mainly because I had some doubts after reading the article.
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