संगीतकार और गायक विशाल डडलानी (Vishal Dadlani) प्रतिस्पर्धा को भी प्रेरणा की तरह देखते हैं। ‘ओम शांति ओम’, ‘दोस्ताना’, ‘बेफिक्रे’ और ‘वार’ समेत कई हिट फिल्मों का संगीत बना चुके विशाल ने संगीत की दुनिया में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के इस्तेमाल को लेकर दीपेश पांडेय के साथ साझा किए अपने विचार…
संगीत में एआइ के प्रयोग पर विशाल डडलानी कहते हैं, ‘टेक्नोलाजी तो एक साधन मात्र है। इंसान जो भी संगीत बनाता है, फिर वो अपने हाथ से बनाए, पत्थर तोड़कर बनाए या एआइ की मदद से बनाए। एआइ तो बस एक उपकरण है। जब पहली बार इलेक्ट्रिक सितार बना था तो बवाल हो गया था? जब तबले में पिकअप डाला गया तो भी लोगों ने सवाल पूछा। सबको नई-नई चीजें सोचने और करने का हक है, यह संगीत जगत की मांग भी है कि आप सोच का दायरा बढ़ाएं।’
सदाबहार है शास्त्रीय संगीत
शास्त्रीय संगीत के साथ अलग-अलग फ्यूजन और प्रायोगिक संगीत बनाए जा रहे हैं। शास्त्रीय संगीत के महत्व को रेखांकित करते हुए विशाल कहते हैं, ‘इस समय मैं और शेखर जिस गाने पर काम कर रहे हैं, वह भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित है। बाहर से देखने पर भारतीय, पश्चिमी और दूसरे तरह का संगीत अलग-अलग लगता है, लेकिन हर जगह सुर सात ही होते हैं। बस तकनीक और स्केल अलग हो सकते हैं। अगर कोई यह कहता है कि लोगों ने शास्त्रीय संगीत सुनना कम कर दिया है, तो फिर शास्त्रीय संगीत के कंसर्ट में दर्शक बढ़ कैसे गए हैं।
प्रतिस्पर्धा नहीं प्रेरणा
अपने समसामयिक कलाकारों के साथ इंडस्ट्री में प्रतिद्वंद्विता के विषय पर विशाल कहते हैं, ‘मेरे प्रतिद्वंद्वी मेरे दोस्त भी हैं। मैंने उन सबके लिए गाना भी गाया है। मेरे हिसाब से म्यूजिक अकेलेपन में नहीं बनता है। म्यूजिक में जान डालने के लिए और लोगों का शामिल होना बहुत जरूरी होता है। मेरी शुरुआत तो बैंड से हुई थी, उसमें हम चार लोग थे। उनके या शेखर के बिना म्यूजिक बनाना मुझे नहीं आता।
ये राइवलरी (प्रतिद्वंद्विता) वाला नहीं, प्यार वाला काम है। यहां प्रतियोगिता इसलिए है ताकि हम एक-दूसरे से प्रेरित होकर बेहतर करने की कोशिश करें। इसका उदाहरण है कि अगर शंकर-अहसान-लाय ने मुझे ‘झूम बराबर झूम’ गाने का संगीत ना सुनाया होता, तो ‘टशन’ फिल्म का अलबम नहीं बनता ‘टशन’ के लिए हमें प्रेरणा वहीं से मिली।’
हर दौर की अलग प्लेलिस्ट
विशाल सिंगिंग रियलिटी शो इंडियन आइडल के 16वें सीजन में नौंवी बार जज की भूमिका निभा रहे हैं। जज करते समय नजरिया गलत होने को लेकर विशाल कहते हैं, ‘अगर आपकी कला सच्ची है और उसमें कुछ दम है तो लोग खुद ब खुद आपको पहचान लेंगे।’ अपनी पसंदीदा प्लेलिस्ट को लेकर विशाल बताते हैं, ‘बचपन में मैं पंचम दा, एलपी (लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल), कल्याण जी-आनंद जी के समृद्ध गाने सुनता था।
फिर जब थोड़ा बड़ा हुआ और खुद को ढूंढने निकला, तो मुझे माइकल जैक्सन, दुनियाभर के अलग-अलग राक बैंड्स, नुसरत साहब (नुसरत फतेह अली खान) समेत कई बड़े-बड़े संगीतकार मिले। जब मैंने और शेखर (विशाल के जोड़ीदार शेखर रवजियानी) ने साल 1999-2000 में संगीत बनाना शुरू किया तो शंकर-अहसान-लाय, प्रीतम, ए.आर. रहमान सभी के संगीत प्रेरणा का विषय रहे हैं।’
प्रयोग मशीन हैं श्रेया
विशाल ने श्रेया घोषाल के साथ कई गाने बनाए हैं। उनके साथ कभी रचनात्मक मतभेद हुए हैं, इस पर विशाल कहते हैं, ‘हमारा कभी कोई क्रिएटिव मतभेद नहीं हुआ। श्रेया हमारी बहुत अच्छी दोस्त हैं। हम उन्हें ऐसे गाने देने की कोशिश करते हैं , जो उनके स्टाइल से अलग हों। हर कलाकार चाहता है कि वह किसी एक जानर या स्टाइल में फंस न जाए। हमारे लिए वो ऐसे इंस्ट्रूमेंट (यंत्र) की तरह हैं, जिसके साथ हम कोई भी प्रयोग कर सकते हैं। ऐसा कोई जानर नहीं, जो वो नहीं गा सकती हैं।’
