Dropdi Murmu समाज के प्रगतिशील बदलाव की प्रतीक है महिलाएं, महिलाओं के प्रति यह महत्वपूर्ण बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वन अकादमी, देहरादून में प्रशिक्षणरत व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के भारतीय वन सेवा के दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग करते हुए कही, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दिक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने 101 प्रशिक्षार्थियों को जिम 10 महिला अधिकारी भी शामिल हैं सभी को प्रमाण पत्र और पदक प्रदान किये राष्ट्रपति के हाथों पदक ग्रहण करने पर प्रशिक्षार्थियों में बेहद खुशी का माहौल देखा गया। मालूम हो कि इन अधिकारियों में पूरे देश के कैडरों के नए वन अधिकारी शामिल थे।राष्ट्रपति मुर्मु ने भारतीय वन सेवा के 2022 बैच के सभी प्रशिक्षु अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि इस बैच की खास बात ये है कि इसमें 10 महिला अधिकारी है जिस पर उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज के प्रगतिशील बदलाव की प्रतीक हैं।
प्रकृति की जैव विविधता का संरक्षण जरूरी – Dropdi Murmu
राष्ट्रपति ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि इस राष्ट्रीय वन अकादमी की पर्यावरण के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मुर्मू ने कहा कि यहां से निकले भारतीय वन सेवा के अधिकारियों पर जंगलों के संरक्षण, संवर्धन एवं पोषण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है.। उन्होंने कहा कि ये वन सेवा के ये नये अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों के प्रति संवेदनशील और सचेत होंगे साथ ही वह पूरी निष्ठा से अपने उत्तरदायित्वों को निभाने का काम करेंगे …राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी चिंताएं समाज और मानवीय दृष्टिकोण केंद्रित होने के साथ-साथ प्रकृति और पर्यावरण पर भी केंद्रित होनी चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने पर्यावरण के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पृथ्वी की जैव-विविधता एवं प्राकृतिक सुंदरता का संरक्षण आज के वक्त में बेहद जरूरी है, जिसे हमें जल्द से जल्द पूरा करना है। राष्ट्रपति ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि वन और वन्य जीवों के संरक्षण संवर्धन के जरिए मानव जीवन को संकट से बचाया जा सकता है। राष्ट्रपति ने इस दीक्षांत समारोह में प्रशिक्षार्थियों को याद दिलाते हुए कहा कि भारतीय वन सेवा के पी. श्रीनिवास, संजय कुमार सिंह, एस. मणिकन्दन जैसे अधिकारियों ने ड्यूटी के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए प्राण न्योछावर किए हैं। राष्ट्रपति ने वन सेवा के अधिकारियों की कर्तव्य परायणता को सराहते हुए कहा कि देश को भारतीय वन सेवा ने बहुत अधिकारी दिये हैं, जिन्होंने पर्यावरण के लिए अतुलनीय कार्य किए हैं और उनकी चर्चा बहुत सम्मान से आज भी की जाती है। राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों को आप अपना रोल मॉडल बनाएं एवं उनके दिखाए आदर्शों पर आगे बढ़ने की कोशिश करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि परंपरा और आधुनिकता विकास के रथ के दो पहिए हैं। आज मानव समाज पर्यावरण संबंधी कई समस्याओं का दंश झेल रहा है। उन्होंने कहा कि हम आधुनिकता और प्रगति की कारण प्रकृति का दोहन करते है। इस प्रक्रिया में पारंपरिक ज्ञान को उपेक्षित किया जाता है। जनजातीय समाज ने प्रकृति के शाश्वत नियमों को अपने जीवन का आधार बनाया है। जनजातीय जीवन शैली मुख्यतः प्रकृति पर आधारित होती है। इस समाज के लोग प्रकृति का संरक्षण भी करते हैं। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सदियों से जनजातीय समाज द्वारा संचित ज्ञान के महत्व को समझा जाए और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए उसका उपयोग किया जाए।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय वन सेवा के सभी अधिकारियों को भारत के प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन ही नहीं करना है, बल्कि परंपरा से संचित ज्ञान को मानवता के हित में उपयोग करना है। आधुनिकता एवं परंपरा का समन्वय करके वन संपदा की रक्षा करनी है तथा वनों पर आधारित लोगों के हितों को आगे बढ़ाना है। राष्ट्रपति ने कहा जब भी आप किसी फैसले की दुविधा में हों, तब आप संविधान के मूल्यों और भारत के लोगों के हितों को ध्यान में रख कर फैसला लें।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सभी अधिकारियों को विशेष कर महिला अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि मैं आशा करती हूं कि आने वाले समय में और भी महिला अधिकारियों की संख्या वन सेवा में जरूर बढ़ेगी।