
Mahabharat: आपने महाभारत में अहम पात्र दुर्योधन के बारे में पढ़ा तो होगा लेकिन आज जो जानकारी हम दे रहे है वो आपके लिए रोचक और नयी होगी। लेकिन जिद्दी दुर्योधन किसी भी हालत में पीछे हटना नहीं चाहता था, क्योंकि उसे भ्रम था कि अंत में जीत उसकी ही सेना की होगी. लेकिन वास्तव में वह पराजित हो गया. अपनी अंतिम सांस लेते समय उन्होंने भगवान कृष्ण को तीन उंगलियां दिखाईं. इन तीन उंगलियों का वास्तव में क्या मतलब था ये हम आपको बता रहे हैं।
भगवान कृष्ण दुर्योधन के पास गये और उससे पूछा, “क्या तुम कुछ कहना चाहते हो?” इस पर दुर्योधन ने कहा कि महाभारत(Mahabharat) युद्ध के दौरान उसने तीन गलतियां कीं. इन्हीं गलतियों के कारण वह युद्ध नहीं जीत सके और आज वह इस स्थिति में हैं. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें इन गलतियों के बारे में पहले से पता होता तो आज वह जीत जाते. भगवान कृष्ण ने बहुत शांति से दुर्योधन से उसकी गलतियों के बारे में पूछा, जिस पर दुर्योधन ने उन्हें बताया कि उसकी पहली गलती यह थी कि उसने नारायण की जगह नारायण की सेना को चुना. उन्होंने कहा कि यदि नारायण कौरवों की ओर होते तो परिणाम कुछ और होता.
दुर्योधन की दूसरी गलती यह थी कि वह अपनी मां के विरोध के बावजूद पत्ते से ढका कपड़ा पहनकर उनके सामने गया था. यदि वह नंगा हो जाता तो कोई भी योद्धा उसे हरा नहीं सकता था. उन्होंने कहा कि तीसरी और अंतिम गलती यह थी कि उन्होंने युद्ध में अंतिम बार प्रवेश किया. यदि वह पहले गया होता तो उसे कुछ बातें पहले ही पता चल जातीं. शायद उसके भाई-बहनों और दोस्तों की जान बच जाती.
Mahabharat: कृष्ण ने शांतिपूर्वक दुर्योधन की सारी बातें सुनीं
भगवान कृष्ण ने शांतिपूर्वक दुर्योधन की सारी बातें सुनीं. फिर उन्होंने कहा, ‘तुम्हारी हार का मुख्य कारण तुम्हारा अधर्मपूर्ण आचरण और अपनी ही कुलवधू को छीन लेना है. आपने स्वयं अपने कर्मों से अपना भाग्य लिखा है. श्री कृष्ण की इस कथन का तात्पर्य यह था कि दुर्योधन अपनी तीन गलतियों के कारण नहीं, बल्कि इसलिए हारा क्योंकि वह अधर्मी था. यह सुनकर दुर्योधन को अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ.