![Narmada](https://pahadpolitics.com/wp-content/uploads/2025/02/a5022530-be8e-4733-8ef0-9aa893fc94f0.jpg)
भारत में नदियों से लोगों की धार्मिक आस्थाएं जुड़ी हैं.गंगा, यमुना और सरस्वती की तरह ही नर्मदा(Narmada) नदी भी लोगों के लिए आस्था का केंद्र मानी जाती है. जहां एक ओर ज्यादातर नदियां पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा की ओर बहती हैं वहीं, नर्मदा एक ऐसी नदी है जो पूर्व दिशा से पश्चिम की ओर जाती है और अरब सागर में मिल जाती है.आसान शब्दों में कहें तो नर्मदा नदी उल्टी दिशा में बहती है. नर्मदा नदी को ‘आकाश की बेटी’ भी कहते हैं. हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर नर्मदा जयंती मनाई जाती है, चलिए आपको बताते हैं कि आखिर नर्मदा नदी उल्टी क्यों बहती है.
नर्मदा नदी को ‘आकाश की बेटी’ भी कहते हैं.
नर्मदा उल्टी क्यों बहती है, इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा मिलती है. इस पौराणिक कथा के अनुसार, नर्मदा राजा मेकल की पुत्री थीं. जब नर्मदा विवाह योग्य हो गईं, तो राजा मेकल ने ऐलान किया की कि जो गुलबकावली का फूल लेकर आएगा, वह उनकी बेटी नर्मदा से विवाह करेगा. इस चुनौती को राजकुमार सोनभद्र ने पूरा किया और इसके बाद इसके बाद नर्मदा और सोनभद्र की शादी तय हुई गई.
एक दिन नर्मदा(Narmada) ने राजकुमार को देखने की इच्छा व्यक्त की और नर्मदा ने इसके लिए अपनी सहेली जोहिला को सोनभद्र के पास संदेश लेकर भेजा. जब सोनभद्र ने जोहिला को देखा, तो उन्हें नर्मदा समझकर प्रेम प्रस्ताव रखा. जोहिला यह प्रस्ताव ठुकरा नहीं पाई और सोनभद्र से प्रेम करने लगीं. जब नर्मदा को इस बात का पता चला, तो वह बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने आजीवन कुंवारी रहने का प्रण लिया. उसी समय से नाराज होकर नर्मदा विपरीत दिशा में बहने लगीं और अरब सागर में जाकर मिल गईं. तब से ही नर्मदा नदी को एक कुंवारी नदी के रूप में पूजा जाता है. नर्मदा नदी के हर कंकड़ को नर्वदेश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है.
नर्मदा उल्टी बहने का वैज्ञानिक कारण
हालांकि, नर्मदा(Narmada) नदी के विपरीत दिशा में बहने को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि नर्मदा नदी रिफ्ट वैली की वजह से उल्टी बहती है यानी नदी के प्रवाह के लिए जो उसका ढलान बनता है, वह उल्टी दिशा में है. ऐसे में जिस ओर नदी का ढलान होता है, वह नदी उसी दिशा में बहती है.