Secret of Ramayana आज हम एक रोचक किस्सा आपको बताएंगे कि सीता हरण के बाद मां जानकी जी ने कभी अपने वस्त्रों को नहीं बदला,उसके बाद वे लंका में करीब 14 महीने रहीं थीं। परंतु उनके वस्त्र कभी मलिन यानी गंदे नहीं हुए। इसका क्या रहस्य है। वनवास काल के दौरान एक बार भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और सीता जी समेत महामुनि अत्री जी के आश्रम पहुंचे। महर्षि अत्री ने श्रीराम का बहुत आदर किया और सम्मान सहित उन्हें अपने पास बिठाया। साथ ही श्रीराम से भविष्य की घटनाओं के बारे में बताया और कहा कि हे राम मैं वर्षों से आपके आने की ही राह देख रहा था। इसके बाद उन्होंने श्रीराम और लक्ष्मण जी को अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया और दिव्य आयुध उन्हें प्रदान किए।
माता अनुसुइया ने जानकी जी को पतिव्रत धर्म की दीक्षा दी Secret of Ramayana
इसी दौरान महर्षि अत्री की पत्नी माता अनुसुइया ने जानकी जी को पतिव्रत धर्म की दीक्षा दी। साथ ही वनवास की कठिनाइयों के विषय में भी अवगत कराया। इसके बाद माता अनुसुइया ने सीता जी को दिव्य आभूषण और वस्त्र उपहार स्वरूप दिए। साथ ही कहा कि हे पुत्री सीते यह वस्त्र भविष्य में आपके बहुत काम आएंगे। क्योंकि भविष्य में ऐसा समय आने वाला है जब आप कई -कई दिनों तक स्नान नहीं कर पाएंगे, इसलिए आप इन वस्त्र और आभूषणों को धारण कर लीजिए।
इन वस्त्रों को धारण करने से आपका रूप और सौन्दर्य ऐसे ही बना रहेगा और ये वस्त्र कभी गंदे नहीं होंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि ये वस्त्र ना तो भविष्य में फटेंगे और नहीं किसी भी रुप से विकृत होंगे। मां अनुसुइया के ऐसा कहने पर माता सीता ने उन वस्त्रों को धारण कर लिया। मान्यता है कि ये वस्त्र माता अनुसुइया को देवताओं से प्राप्त हुए थे। साथ ही माता अनुसुइया को पांच पतिव्रता स्त्रियों में से एक माना जाता है और देवताओं के साथ ही भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी भी उन्हें माता ही मानते थे और उनका आदर करते थे।
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