
Shiv Barat: आज हम आपको भगवान शिव की बारात के बारे में बताएंगे जो किसी आम देव विवाह जैसी नहीं थी. रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने शिव विवाह का ऐसा वर्णन किया है, जो किसी को भी अचंभित कर सकता है. भूत-प्रेत, नाग, योगी, सिद्ध और गंधर्वों से सजी ये बारात अनोखी और अलौकिक थी. माता पार्वती के पिता हिमवान और वहां उपस्थित सभी देवता इस बारात को देखकर चकित रह गए थे. कैसी थी शिव जी की अनूठी बारात? आइए जानते हैं रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों के अनुसार इसका रोचक वर्णन.
भगवान विष्णु की चुटकी – जब शिवजी की बारात(Shiv Barat) निकली तो भगवान विष्णु ने मजाक में कहा कि ये बारात वर के योग्य नहीं लग रही. कहीं ऐसा न हो कि पराए नगर जाकर लोग इसे देखकर हंसने लगें. उनके इस कथन पर देवता मुस्कुराए और अपनी-अपनी सेना सहित अलग हो गए.
विचित्र वेष में शिवगण – शिवजी के आदेश पर सभी गण बारात में शामिल हुए और वे शिवजी के चरणों में सिर नवाकर चल पड़े. इन गणों का रूप अत्यंत विचित्र था, कोई अलग तरह की सवारी पर था, तो कोई अजीब वेष में दिख रहा था. शिवजी ने जब अपनी इस अनोखी बारात को देखा तो वे स्वयं भी मुस्कुरा उठे.
अजीबोगरीब आकृति वाले बाराती – शिवगणों में कोई बिना मुख का था, तो किसी के कई-कई मुख थे. किसी के कई हाथ-पैर थे, तो कोई बिना हाथ-पैर का था. कुछ के शरीर बहुत मोटे-ताजे थे, तो कुछ इतने पतले कि हड्डियों का ढांचा मात्र लग रहे थे.
भयानक और डरावने गण – बारात में शामिल कई गणों ने अजीबोगरीब और डरावने गहने पहन रखे थे. वे अपने हाथों में खोपड़ियां लिए हुए थे और उनके शरीर पर ताजा खून लगा हुआ था, जिससे वे और भी भयंकर लग रहे थे.
भूत-प्रेतों की विशाल टोलियां – इस अनोखी बारात(Shiv Barat) में केवल गण ही नहीं, बल्कि असंख्य भूत, पिशाच, राक्षस और योगिनियां भी शामिल थीं. कुछ के चेहरे गधे, कुत्ते, सूअर और सियार जैसे थे. उनके अनगिनत रूपों का वर्णन कर पाना भी कठिन था.
दूल्हे के अनुरूप अनोखी बारात – जैसा दूल्हा था, वैसी ही बारात भी थी. रास्ते में यह विचित्र बारात लोगों के लिए कौतूहल और मनोरंजन का कारण बन रही थी. दूसरी ओर, हिमालय (पार्वती जी के पिता) ने शिवजी के लिए ऐसा भव्य मंडप बनवाया था कि उसका वर्णन कर पाना भी कठिन था.
मनचाहा रूप बदलने वाले बाराती – जैसे ही बारात(Shiv Barat) हिमालय के घर पहुंची, शिवगणों ने अपनी इच्छानुसार सुंदर और आकर्षक रूप धारण कर लिया. वे अपनी स्त्रियों और समाज के साथ मंगल गीत गाते हुए पार्वती जी के घर पहुंचे, जहां सबने प्रेमपूर्वक उनका स्वागत किया.