
Men Rape case आज आपको एक बेहद अनोखी खबर बता रहे हैं जो देश के ज्यादातर मर्दों को अपनी सी लगेगी। दरअसल 2023 में सुप्रीम कोर्ट में एक PIL दायर की गई थी जिसमें National Commission for Women की तरह यानी महिला आयोग की तर्ज पर National Commission for Men बनाने की मांग की गई थी । हम सभी जानते हैं राष्ट्रीय महिला आयोग यानी National Commission for Women देश भर में महिलाओं की प्रति अत्याचार,हिंसा, यौन शोषण जैसे मुद्दों पर महिलाओं के लिए आवाज उठाने और उन्हें न्याय दिलाने का काम करता है । अब सोचने की बात यह है कि पुरुषों को “पुरुष आयोग” की जरूरत क्यों पड़ गई।
देश में तेज़ हो रही पुरुष आयोग की मांग Men Rape case

दरअसल पुरुषों के एक वर्ग का मानना है कि हमारे समाज में केवल महिलाएं ही पीड़ित या प्रताड़ित नहीं है । बहुत से ऐसे मर्द भी हैं जो घरों में और समाज में अत्याचार और प्रताड़ना झेल रहे हैं। वह जमाना चला गया जब सिर्फ महिलाएं ज़्यादती का शिकार होती थी । आज पुरुष भी ज़्यादती का शिकार हो रहे हैं। आज पुरुषों के साथ भी घरेलू हिंसा, प्रताड़ना, शारीरिक और मानसिक शोषण की घटनाएं बढ़ रही हैं और इस वजह से बहुत से शादीशुदा मर्द आत्महत्या भी कर रहे हैं। ऐसे में पुरुष अधिकारों का संरक्षण करने के लिए और उन्हें अत्याचार से बचाने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग बनाने की मांग उठ रही है।
जेंडर न्यूट्रल कानून की मांग
इसी को लेकर 2023 में सुप्रीम कोर्ट में एक PIL दायर की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस PIL को स्वीकार नहीं किया और इसे रिजेक्ट कर दिया । हालांकि इन पुरुषों ने उम्मीद नहीं खोई और इन्हें यह यकीन था कि सरकार कानून में बदलाव कर घरेलू हिंसा या यौन हिंसा से जुड़े कानून को जेंडर न्यूट्रल कर सकती है । यानी कि ऐसे कानून सिर्फ महिलाओं को ही संरक्षण नहीं देंगे यह पुरुषों को भी संरक्षण देंगे । मतलब स्त्री और पुरुष दोनों ही इन प्रावधानों के जरिए न्याय पा सकेंगे। लेकिन आज की तारीख में ऐसे कानून केवल महिलाओं के लिए ही है और महिलाओं के दृष्टिकोण से ही बनाए गए हैं।
पुरुषों का भी होता है रेप
इन पुरुषों का कहना है कि पुरुषों को भी घरेलू हिंसा, यौन प्रताड़ना, कार्यस्थल पर प्रताड़ना यहां तक की बलात्कार का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में कानून की परिभाषा में बदलाव की जरूरत है । 2023 में भारतीय न्याय संहिता में कई बदलाव किए गए पर फिर भी पुरुषों के लिए इसमें राहत वाली कोई बात नहीं थी। इन कानूनो को जेंडर न्यूट्रल नहीं बनाया गया । भारतीय न्याय संहिता 2023 में सेक्शन 69 के अंतर्गत कानून है कि अगर कोई व्यक्ति किसी महिला से शादी का वादा करता है और बाद में वादा तोड़ देता है तो महिला सेक्शन 69 के अंतर्गत पुरुष के खिलाफ केस दर्ज कर सकती है यानी अब लड़को के लिए ब्रेकअप करना भी इतना आसान नहीं होगा। पुरुषों का एक वर्ग इस तरह के कानून को अपने साथ अन्याय बता रहा है और इसके विरोध में वे अपने अंडरवियर जला रहे हैं और अधजली अंडरवियर नेताओं को विरोध स्वरूप भेज रहे हैं। पुरुषों का कहना है कि वह जमाना गया जब सिर्फ शादी शुदा महिलाओं के खिलाफ ही अत्याचार हुआ करते थे।
पुरुषों की रक्षा के लिए कोई कानून क्यों नहीं !
आज पुरुषों को भी अत्याचार झेलना पड़ रहा है। आज आदमियों को भी मारपीट,गाली गलौज, हिंसा ,प्रताड़ना, यौन हिंसा झेलनी पड़ रही है। इन पुरुषों का यह कहना है कि जब पुरुष भी प्रताड़ित हो रहे हैं तो कानून एक तरफा क्यों है ? हिंसा, प्रताड्ना , यौन हिंसा से जुड़े सारे कानून केवल महिलाओं को ही प्रोटेक्शन क्यों देते हैं पुरुषों की रक्षा के लिए कोई कानून क्यों नहीं है? आज पुरुषों के लिए भी पुरुष आयोग की जरूरत है उनका यह भी कहना है कि भारत में पुरुषों की आत्महत्या की दर भी लगातार बढ़ रही है आज महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं। साथ ही इन लोगों को महिलाओं को अतिरिक्त सुविधा या फ्री की सुविधा देने से भी विरोध है। उनका कहना है कि हर जगह महिलाओं को आरक्षण देने की जरूरत नहीं है। बस में टिकट महिलाओं के लिए फ्री, बैठने की जगह आरक्षित, क्लब में एकल महिला को एंट्री जबकि पुरुष को नहीं । यह भेदभाव भरी नीति अब खत्म होनी चाहिए।