
Patal bhuvaneshwar भारत के कोने-कोने में कई रहस्यमयी मंदिर और गुफाएं स्थित है। जिनमें से कई गुफाओं के रहस्य का पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए। इन्हीं मंदिरों में से एक उत्तराखंड का शिव मंदिर भी शामिल है। इस मंदिर का नाम भुवनेश्वर गुफा मंदिर है। यह मंदिर पिथौरागढ़ में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर में दुनिया खत्म होने का रहस्य छिपा हुआ है। लेकिन यह बात कितनी सच्ची है इस बारे में आज तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला।
33 कोटि देवी-देवताओं का है निवास Patal bhuvaneshwar

पाताल भुवनेश्वर मंदिर उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है। देवदार के घने जंगलों के बीच यह अनेक भूमिगत गुफाओं का संग्रह है। जिसमें से एक बड़ी गुफा के अंदर शंकर जी का मंदिर स्थापित है। यह संपूर्ण परिसर 2007 से भारतीय पुरातत्व विभागद्वारा अपने कब्जे में लिया गया है।
पाताल भुवनेश्वर गुफा में श्रद्धालुओं के एक साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन होते हैं. यह भी कहा जाता है कि इस गुफा में 33 कोटि देवी-देवताओं का निवास है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में सबसे पहले इस गुफा को राजा ऋतूपूर्ण ने देखा था। इसके बाद द्वापर युग में इस जगह पर पांडवो ने भगवान शिवजी के साथ चौपाड़ खेला था। कलयुग में आदि जगत गुरु शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज की और यहां ताम्बे का एक शिवलिंग स्थापित किया और बाद में चंद राजाओं ने इस गुफा को खोजा।
यहीं है गणेश जी का सिर
शायद ये बहुत कम लोगों को पता होगा कि भगवान संकर द्वारा काट कर गिराया गणेश जी का मस्तक बाद में कहां रखा गया और आज के समय में क्या वो है या नहीं। इन सवालों का जवाब उत्तराखंड आकर मिल जाता है। शास्त्रों के अनुसार गणेश जी का असली शीश आज तक एक ऐसी जगह पर महफूस पड़ा है, जिसके साथ बहुत से रहस्य जुड़े हुए हैं।

ये गुफा कहीं और नहीं बल्कि उत्तारखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है
मान्यताओं के अनुसार भोलेनाथ ने अपने पुत्र गणेश के कटे हुए सिर को उत्तराखंड की एक गुफा में रख दिया था। आपको सुनकर हैरानी जरूर होगी लेकिन ये सच्चाई है। ये गुफा कहीं और नहीं बल्कि उत्तारखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है, जिसे पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इसका वर्णन स्कंद पुराण में भी पढ़ने को मिलता है। कहते हैं कि यहां गणेश जी के कटे हुए सिर के इनकी एक मूर्ति स्थापित है जिसे आदिगणेश कहा जाता है।