Sattal Christian Ashram सातताल क्रिश्चियन आश्रम भारत के उत्तराखंड के नैनीताल जिले में भीमताल शहर के पास स्थित एक शांत आध्यात्मिक आश्रम है। आश्रम हिमालय की तलहटी में स्थित है और सातताल झील क्षेत्र की हरी-भरी हरियाली और शांति से घिरा हुआ है, जिसमें सात मीठे पानी की झीलें शामिल हैं। 1930 में एक अमेरिकी मिशनरी ई. स्टेनली जोन्स द्वारा स्थापित, यह विभिन्न समुदायों के बीच एकता, शांति और मेल-मिलाप के लिए समर्पित एक केंद्र है। आश्रम ईसाई विचारधाराओं और क्षेत्र की शांत सुंदरता का एक मिश्रण है, जो ध्यान, प्रार्थना और प्रकृति के साथ संवाद के लिए एक अद्वितीय वातावरण प्रदान करता है।
1980 में तत्कालीन स्टेट मैनेजर मुराद मैसी ने बंद कराया था Sattal Christian Ashram
झीलों की निकटता और विविध वनस्पतियों और जीवों के साथ जुड़ने का अवसर आगंतुकों के समग्र अनुभव को समृद्ध करता है, जिससे यह न केवल एक आध्यात्मिक खोज बल्कि एक पारिस्थितिक अभियान भी बन जाता है। भीमताल के समीप सातताल आश्रम में एक तिलिस्म छिपा है। वह भी ऐसा जिसके बारे में किसी को अधिक जानकारी नहीं है। आश्रम में हर दरवाजा खुला है, लेकिन तहखाने का एक दरवाजा आज भी बंद है। जिसे आश्रम के कर्मचारी टाइम कैप्सूल कहते हैं। बताया जाता है कि सातताल आश्रम के इस दरवाजे को वर्ष 1980 में तत्कालीन स्टेट मैनेजर मुराद मैसी ने बंद कराया था। कर्मचारी बताते हैं कि मैसी ने इसे 44 साल पहले बंद कराया था, लेकिन यहां प्रवेश की अनुमति उससे पूर्व भी किसी को नहीं थी। दरवाजे के पीछे का राज किसी को पता नहीं है और न ही इसका उल्लेख किसी अभिलेख में है। दरवाजे के निर्माणकर्ता की इच्छा के अनुरूप इसे वर्ष 2030 में खोला जाना है।
वास्तुकला सरल है और संयमित जीवनशैली और पर्यावरणीय सद्भाव के प्रति आश्रम की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह उन लोगों के लिए अतिथि आवास भी प्रदान करता है जो एकांत में समय बिताना चाहते हैं या विभिन्न आध्यात्मिक कार्यक्रमों में भाग लेना चाहते हैं। दरवाजे को लेकर क्षेत्रवासियों के भिन्न-भिन्न मत हैं। यहां आने वाले पर्यटक बताते हैं कि इसमें तत्कालीन कुछ अभिलेख हो सकते हैं, जिसकी आवश्यकता संभव है कि वर्ष 2030 में पड़े। हो सकता है कि तत्कालीन समिति ने वर्ष 2030 के लिए संस्था को कुछ दिशा-निर्देश दिए हों। बहरहाल श्रद्धालुओं को इसका राज जानने के लिए 2030 तक इंतजार करना होगा।
यह है इतिहास
सातताल आश्रम को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के करीबी मित्र स्टोनले जोंस ने वर्ष 1930 में बनवाया था। गांधी विचारधारा से प्रभावित जोंस का झुकाव भारतीय संस्कृति की ओर अधिक था। क्षेत्रवासी बताते हैं कि पुराने अभिलेखों में तत्कालीन मैनेजर के हाथ कुछ ऐसे तथ्य लग गए होंगे, जिनका संबंध स्टोनले से हो सकता है। स्टोनले की इच्छा के अनुरूप दरवाजा बंद कर दिया गया होगा और 2030 में उनकी इच्छा के अनुरूप इसे खोला जाएगा।